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गर्भावस्था में उल्टी की समस्या के लिए कारगर घरेलू उपाय

Vomiting in Pregnancy
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गर्भावस्था के दौरान उल्टी होना एक आम लक्षण है, लेकिन कई बार यह कुछ महिलाओं के लिए परेशानी का कारण बन सकता है। इस स्थिति को मेडिकल भाषा में मॉर्निंग सिकनेस (morning sickness in pregnancy) के नाम से जानते हैं। हालाँकि, अपने नाम के विपरीत यह पुरे दिन भी रह सकता है।

आमतौर पर गर्भावस्था के लक्षण (symptoms of pregnancy in Hindi), गर्भावस्था के छठे सप्ताह में शुरू होते हैं और चौदहवें सप्ताह तक उपस्थित रह सकते हैं। हालाँकि, कुछ महिलाओं में ये लक्षण पूरे नौ महीने तक रह सकते हैं जिसके कारण उन्हें कमज़ोरी, थकान और डिहाइड्रेशन जैसी अनेक समस्याओं का सामना करना पड़ता है।

अगर आप भी गर्भावस्था के दौरान होने वाली उल्टी से परेशान हैं तो यह ब्लॉग आपके लिए स्पेशल है। इसमें हम उल्टी को रोकने, उसे मैनेज करने या उसके प्रभाव को कम करने वाले उपायों के बारे में जानेंगे।

गर्भावस्था के दौरान उल्टी क्यों होती है? (Vomiting during Pregnancy in Hindi)

गर्भावस्था के दौरान महिला के शरीर में हार्मोनल परिवर्तन होते हैं जो शरीर की फंक्शनिंग को प्रभावित करते हैं जिससे उल्टी की समस्या पैदा होती है। गर्भावस्था के दौरान उल्टी होने के सामान्य कारणों में निम्न शामिल हो सकते हैं:

इन सबके अलावा, अगर गर्भ में जुड़वाँ बच्चे हैं, तो उल्टी का खतरा बढ़ सकता है। हालाँकि, कुछ घरेलू उपाय हैं, जिनकी मदद से उल्टी की संभावना को कम किया जा सकता है।

गर्भावस्था में उल्टी रोकने के लिए कारगर घरेलू उपाय (Home remedies for vomiting during Pregnancy)

गर्भावस्था के शुरुआती दिनों में उल्टी होना सामान्य है, लेकिन समय के साथ यह धीरे-धीरे कम हो जाता है। अगर आप उल्टी से परेशान गयी हैं तो अपने गायनेकोलॉजिस्ट से परामर्श करने के बाद कुछ ख़ास घरेलू नुस्खों का इस्तेमाल कर सकती हैं। ये आपको उल्टी से राहत दिलाने में मदद कर सकते हैं। गर्भावस्था में उल्टी के उपायों में निम्न शामिल हैं:

अदरक और काला नमक:

अदरक का छोटा सा टुकड़ा लें, उसमें काला नमक लगाएं और अपने दांतों के नीचे दबा कर 5-10 मिनट तक रखें। अदरक में कुछ ऐसे एंटीऑक्सीडेंट मौजूद होते हैं जो मतली की भावना को कम करने में मदद करते हैं। साथ ही, काला नमक पेट और फ़ूड पाइप में मौजूद एसिड को संतुलित करता है जिससे गर्भावस्था के दौरान होने वाली उल्टी को रोकने में मदद मिलती है।

पुदीना की चटनी:

पुदीने की पत्त्तियों में मौजूद रिलैक्सिंग गुण गर्भावस्था के दौरान होने वाले मिलती और उल्टी से राहत प्रदान करते हैं। पुदीना का सेवन पाचन एंजाइम में भी मदद करता है। आप पुदीने की पत्तियों को धोकर ऐसे ही चबा सकती हैं या फिर उसकी चटनी बनाकर खा सकती हैं। आप चाहें तो पानी में अदरक और पुदीने की पत्ती डालकर उसे गर्म करके, फिर उस पानी को छानकर पी भी सकती हैं। 

निम्बू का रस:

निम्बू में मौजूद अनेक औषधीय गुण कई तरह से एक प्रेगनेंट महिला को लाभ पहुंचा सकते हैं। उन्हीं में से एक है मितली और उल्टी से छुटकारा पाना। निम्बू काटकर उसपर काला नमक लगाएं और खाएं या फिर लेमोनेड बनाकर पी सकती हैं। निम्बू में मौजूद विटामिन सी और साइट्रिक एसिड उल्टी कम करने के साथ-साथ अपनों एनर्जी भी देता है और आपकी इम्युनिटी को बूस्ट करता है। 

इलायची:

इलायची में कुछ ऐसे औषधीय गुण होते हैं जो पाचन एंजाइम को बेहतर बनाने के साथ-साथ पेट की समस्या जैसे कि मितली और उल्टी को रोकने का काम भी करते हैं। अगर आप गर्भावस्था के दौरान अनुभव होने वाले मितली और उल्टी से छुटकारा पाना चाहती हैं तो इलायची आपके लिए एक बेहतर विकल्प है। इलायची को चबा सकती हैं, पानी में गर्म करके पी सकती हैं या ब्लैक या लेमन टी में इस्तेमाल कर सकती हैं। 

मसाले:

भारतीय मसले औषधीय गुणों से भरपूर होते हैं जो कई बीमारियों और स्वास्थ्य संबंधित समस्याओं में प्रभावशाली साबित होते हैं। गर्भावस्था में मितली और उल्टी जैसी समस्याओं को दूर करने का भी गुण होता है। आपको बस सौंफ का पाउडर, दालचीनी का पाउडर और जीरे का अर्क लेना है और उन्हें मिलाकर चाय बनाना और पीना है। इससे मिलती और उल्टी की समस्या मिनटों में ख़त्म हो सकती है।

गर्भावस्था के दौरान, कुछ समय के लिए उल्टी होना सामान्य है और इससे घबराने की ज़रूरत नहीं है। हालाँकि, अगर ये लगातार बने रहते हैं, ये समय के साथ गंभीर होते हैं या इनके कारण आपको कोई और समस्या होती है तो बिना देरी किए गायनेकोलॉजिस्ट परामर्श करना चाहिए

घरेलु नुस्खों के भरोसे लंबे समय तक बैठना सही नहीं है। साथ ही, आपको इस बात का भी ध्यान रखना है कि गर्भावस्था के दौरान ऊपर दिए गए घरेलू नुस्खों का इस्तेमाल गायनेकोलॉजिस्ट से सलाह लेने के बाद ही करनी है। 

आपके सम्पूर्ण स्वास्थ्य, गर्भावस्था की अवधि और उल्टी की गंभीरता आदि को ध्यान में रखते हुए डॉक्टर कुछ दवाओं के सेवन का सुझाव भी दे सकते हैं। डॉक्टर की दिशा-निर्देशों का पालन करें और खुद का ध्यान रखें और खुद में जिस भी लक्षण को अनुभव करती हैं अपने गायनेकोलॉजिस्ट से उस बारे में खुलकर बात करें।

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