महिलाओं में थायराइड के कारण, लक्षण, इलाज और बचाव के उपाय
पुरुषों की तुलना में, महिलाओं में थायराइड की समस्या 5-8 गुना अधिक होती है। इसके मुख्य कारण हैं जैसे कि हार्मोनल बदलाव, प्रेगनेंसी और मेनोपॉज आदि। थायराइड के कारण महिलाओं को अनेक समस्याओं का सामना करना पड़ता है जैसे कि वजन बढ़ना, थकान महसूस करना और इर्रेगुलर पीरियड्स आदि। सही लाइफस्टाइल और खानपान एवं दवा की मदद से समस्या को कंट्रोल किया जा सकता है।
महिलाओं में थायराइड के क्या कारण हैं?
महिलाओं में थायराइड की समस्या पुरुषों की तुलना में अधिक पाई जाती है। इसके कई कारण हो सकते हैं, जिनमें मुख्य रूप से शामिल हैं:
- हार्मोनल बदलाव: प्रेगनेंसी, मेनोपॉज और पीरियड्स के दौरान शरीर में हार्मोन बदलते हैं, जो थायराइड ग्लैंड को नकारात्मक रूप से प्रभावित करते हैं।
- आयोडीन की कमी: थायराइड सही तरीके से काम करने के लिए आयोडीन की जरूरत होती है। इसकी कमी से हाइपोथायराइड हो सकता है।
- ऑटोइम्यून डिजीज: शरीर की इम्यून सिस्टम गलती से थायराइड ग्लैंड पर अटैक कर सकती है, जिससे हाइपोथायराइड या हाइपरथायराइड का खतरा बढ़ जाता है।
- तनाव और गलत जीवनशैली: ज्यादा स्ट्रेस, नींद की कमी और अनहेल्दी डाइट थायराइड हार्मोन को असंतुलित कर सकते हैं।
- अनुवांशिक कारण: अगर परिवार में किसी को पहले से थायराइड की समस्या रही है तो महिलाओं में इसका खतरा बढ़ जाता है।
समय पर जांच और सही इलाज से इसे कंट्रोल किया जा सकता है।
महिलाओं में थायराइड के लक्षण
थायराइड की समस्या दो प्रकार की होती है – हाइपोथायरायडिज्म (थायराइड हार्मोन सामान्य से कम होना) और हाइपरथायराइडिज्म (थायराइड हार्मोन सामान्य से अधिक होना)। दोनों के लक्षण अलग-अलग होते हैं।
हाइपोथायराइडिज्म के लक्षण
- वजन बढ़ना: अगर बिना ज्यादा खाने या एक्सरसाइज में बदलाव किए भी वजन तेजी से बढ़ रहा है, तो यह हाइपोथायराइडिज्म का लक्षण हो सकता है।
- थकान और कमजोरी: रोजमर्रा के छोटे-छोटे काम को करने में भी आलस या सुस्ती आती हो और दिनभर कमजोरी बनी रहती हो तो इसका कारण हाइपोथायराइडिज्म हो सकता है।
- बाल झड़ना और स्किन ड्राई होना: सिर के बाल तेजी से झड़ने लगते हैं, बाल पतले और कमजोर हो जाते हैं। साथ ही, स्किन ड्राई, फटी हुई और बेजान सी दिखने लगती है।
- इर्रेगुलर पीरियड्स: पीरियड्स का कभी जल्दी, कभी देर से आना या बहुत ज्यादा और लंबे समय तक ब्लीडिंग होना।
- डिप्रेशन और चिड़चिड़ापन: बिना किसी वजह के उदासी, चिंता, घबराहट या चिड़चिड़ापन महसूस होना हाइपोथायराइडिज्म लक्षणों में से एक है।
- ठंड सहन न कर पाना: हल्की ठंड में भी ज्यादा ठंड लगना और कंपकंपी होना, हाथ-पैर ठंडा रहना और जल्दी सर्दी लग जाना।
हाइपरथायराइडिज्म के लक्षण
- वजन घटना: अगर बिना डाइटिंग या वर्कआउट किए तेजी से वजन घट रहा है, तो यह हाइपरथायराइड का संकेत हो सकता है।
- धड़कन तेज होना: दिल की धड़कन तेज होना, बिना किसी मेहनत के भी घबराहट महसूस होना या हल्की कंपकंपी महसूस करना।
- नींद न आना: रात में ठीक से नींद नहीं आना। बार-बार नींद का टूटना या बहुत कम सोने के बाद भी दिमाग एक्टिव महसूस होना।
- अत्यधिक पसीना आना: बिना किसी कारण के शरीर से ज्यादा पसीना निकलना, खासकर हथेलियों और पैरों का गीला महसूस होना।
- हाथ कांपना: हाथों का हल्का-हल्का कांपना, खासकर जब आप कोई वस्तु पकड़ने की कोशिश करें।
- गर्मी सहन न कर पाना: हल्की गर्मी भी बहुत ज्यादा महसूस होती है और गर्मी में ज्यादा बेचैनी होती है।
अगर आपको ये लक्षण महसूस हो रहे हैं तो जल्द से जल्द डॉक्टर से संपर्क करें ताकि सही जांच और इलाज किया जा सके।
महिलाओं में थायराइड का इलाज
थायराइड की समस्या का सही समय पर इलाज करना जरूरी है। इलाज का तरीका इस पर निर्भर करता है कि थायराइड हार्मोन कम बना रहा है (हाइपोथायराइडिज्म) या ज्यादा (हाइपरथायराइडिज्म)।
1. हाइपोथायराइडिज्म (थायराइड हार्मोन की कमी) का इलाज
- थायराइड दवाइयाँ – डॉक्टर थायरॉक्सिन (Levothyroxine) जैसी दवाइयाँ देते हैं, जो शरीर में थायराइड हार्मोन की कमी को पूरा करती हैं।
- संतुलित आहार – आयोडीन, जिंक और सेलेनियम से भरपूर भोजन (दूध, दही, फल, नट्स) लें। जंक फूड और ज्यादा शुगर से बचें।
- नियमित व्यायाम – योग और हल्की एक्सरसाइज करने से मेटाबॉलिज्म ठीक रहता है और थकान कम होती है।
- तनाव कम करें – मेडिटेशन और अच्छी नींद से स्ट्रेस कम करें, क्योंकि ज्यादा तनाव थायराइड की समस्या को बढ़ा सकता है।
- नियमित जांच करवाएँ – ब्लड टेस्ट (TSH, T3, T4) कराते रहें ताकि दवाइयों की सही डोज तय की जा सके।
2. हाइपरथायराइडिज्म (थायराइड हार्मोन की अधिकता) का इलाज
- एंटी-थायराइड दवाइयाँ – डॉक्टर ऐसे मेडिसिन देते हैं जो थायराइड हार्मोन का स्तर संतुलित करने में मदद करती हैं।
- रेडियोएक्टिव आयोडीन थेरेपी – यह इलाज थायराइड ग्रंथि के अधिक सक्रिय हिस्से को नष्ट करने में मदद करता है, जिससे हार्मोन संतुलित होते हैं।
- सर्जरी (थायरॉयडेक्टॉमी) – जब दवाइयों और थेरेपी से आराम न मिले, तो थायराइड ग्रंथि का कुछ हिस्सा हटाने के लिए ऑपरेशन किया जाता है।
- खानपान पर ध्यान दें – कैफीन और अधिक आयोडीन वाले भोजन (जैसे समुद्री भोजन, नमक) से बचें क्योंकि यह थायराइड हार्मोन को और बढ़ा सकते हैं।
- नियमित मेडिकल जांच – TSH, T3, T4 की नियमित जांच कराते रहें ताकि बीमारी को कंट्रोल में रखा जा सके।
3. लाइफस्टाइल सुधारकर थायराइड को कंट्रोल करें
- योग और प्राणायाम – सूर्य नमस्कार, सर्वांगासन और अनुलोम-विलोम थायराइड को संतुलित करने में मदद करते हैं।
- हेल्दी डाइट – हरी सब्जियाँ, साबुत अनाज, नट्स और ताजे फल खाएँ। प्रोसेस्ड फूड से बचें।
- पर्याप्त नींद लें – रोज़ कम से कम 7-8 घंटे की अच्छी नींद जरूरी है।
अगर लक्षण बने रहें, तो तुरंत डॉक्टर से संपर्क करें और उनकी सलाह के अनुसार इलाज करें।